“सुख” और “दुख” सुख वह चिज है जिसको सारी दुनिया पाना चाहती है या पाने कि कोशीश कर रही है , और दुख वह चिज है जिसको सभी अपने से दुर भगाना चाहते है परन्तु किसी चिज को पाने से पहले यह जान लेना आवस्यक है कि जो हम पाना चाह्ते है वह है क्या ? जो सुख हमे मिलता है क्या वह हमेशा बना रहता है आखिर क्यो कभी सुख और कभी दुख का अनुभव होता है जिवन भर हम सुख प्राप्त करने के पिछे कडी मेहनत करते है और हमे मिल भी जाता है पर सवाल यह है कि क्या वह स्थिर रहता है ? जोभी हम अनुभव करते है उसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता है प्राप्त नही , क्योकि सुख और दुख कोई वस्तु नही जिसको पकड कर रखा जा सके या दुर करने के लिये फेका जाय , सुख और दुख हमारे मन मे उठ्ने वाला भाव है जो हमारी सफलत और असफलता से जुडा रहता है अगर हम जिवन मे कोई वस्तु पाना चाह्ते है और पा लेते है तो सुख या खुशी का अनुभव होता है और अगर उस वस्तु को नही पाते है तो दुख का अनुभव होता है/ पाना या ना पाना उस वस्तु का काम है जिसको हम छु सकते है देख सकते है परन्तु अनुभव हमारे अपने है जो हमारे अन्दर ही
Way of becoming own master