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आपका DNA बदल रहा है

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"पृथ्वी ग्रह की प्रिय बहनों और भाइयों, 5D तकनीकें आ रही हैं"

  10.03.2023 टेलीपोर्ट 1313 प्रकाश (भगवान) और प्रेम में 220 5D तकनीकें आ रही हैं पृथ्वी ग्रह की प्रिय बहनों और भाइयों , हम यहां नकारात्मक शक्तियों द्वारा मन की प्रोग्रामिंग के माध्यम से नियंत्रण से मुक्ति की आपकी इच्छा की अभिव्यक्ति के लिए आपके कदम के लिए धन्यवाद देने के लिए हैं। हम यहां आपको पांचवें आयाम में आरोहण के लिए मार्गदर्शन करने के लिए हैं , क्योंकि आप हमारे साथ मिलकर एक नई वास्तविकता का निर्माण करने के लिए तैयार हैं। पृथ्वी पर कई अवतारों के बाद , आपने भ्रम से परे देखने और जो वास्तविक प्रतीत होता है उसके पीछे की बड़ी तस्वीर को देखने की क्षमता प्रकट की है। एक बार जब आप आध्यात्मिक रूप से विकसित हो जाते हैं और 5 वें आयाम में अपने दोस्तों की मदद करने के लिए खुद को तैयार कर लेते हैं , तो हम आपके साथ आसानी से संवाद करने में सक्षम होंगे। हालाँकि , उस समय तक , हम चाहते हैं कि आप हमारी उन्नत प्रौद्योगिकियों को साझा करके वैज्ञानिक तरीके से भी प्रगति करें। सुपरशिप गैलेक्टिक ट्रांसपोर्टर , गैलेक्टिक फेडरेशन कार्गो और कर्मियों को लेकर , आवृत्तियों के स्थिर होने पर आपके ग्रह

कुछ होना कुछ नही, पर कुछ ना होना ही सब कुछ है|

“कुछ होना कुछ नही , पर कुछ ना होना ही सब कुछ है”  "Every thing is nothing but  nothing is every thing" जैसे एक बीज अपने आप मे कुछ नही , परंतु जैसे हि उसको जमीन मे बोया जाता है तो सब कुछ हो जाता है और उन सब का उपयोग करते करते आपके पास कुछ नही बचता सिर्फ बीज ही बच जाता है। ठीक इसी तरह  शिव ज्योतिलिंग ( point of light)  ही सब कुछ है ब्रह्मांड ( Universe) कुछ नही ।

आत्मा के अंग मन, बुद्धी और संस्कार ( Soul Organs Mind, Intellect, and Impression)

                मन, बुद्धी और संस्कार (  Mind, Intellect, and Impression) इस संसार के किसी भी मनुष्य को कार्य करने के लिये हथियार या साधन की आवस्यक्ता होती है चाहे वह मनुष्य कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो वह बिना हथियार व साधनो के अपनी शक्तियों का प्रयोग नही कर सकता है|  जैसे   किसी मुर्तिकार को बहुत अच्छी मुर्ती बनाने आती है परंतु उसके पास छेनी-हथौडी नही है तो वह मुर्ति कैसे बनायेगा उसके अंदर मुर्ति बनाने कि गुण-कला सबकुछ है फिर भी वह बिना हथियार के मुर्ति नही बना सकता है|  उसी प्रकार हर मनुष्य या जीव को कर्म करने के लिये  शरीर  के अंग जैसे हाथ , पैर , कान , नाक , आँखे आदि मिला हुआ है जिससे हर जिव संसार के हर कार्य को कर सकता है|  ठीक उसी प्रकार मै आत्मा हुँ,एकऊर्जा  हुँ,  एक चैतन्य शक्ति हूँ, जो इस शरीर मे निवास करती हूँ मुझ आत्मा के तीन अंग या हथियार है मन , बुद्धी और संस्कार  ( Mind, Intellect, and Impression)   मै इसी तीन हथियार का उपयोग कर संसार के हर कार्य को करती हूँ आत्मा इन तीन चिजो कि मालिक है मन (Mind) - मन आत्मा का एक अंग है जिसके बिना आत्मा कोई कार्य नही कर सकती है

मनुष्य का आदत, संस्कार या चरित्र कैसे बनता है ? [How formed a person's Habit, culture or character?]

                                   मनुष्य का आदत , संस्कार या चरित्र इस संसार मे जितने भी मनुष्य है , हर मनुष्य का अपना और एक अलग चरित्र है जिसको आद्त या संस्कार भी कहा जाता है. इस आदत या संस्कार की वजह से हर मनुष्य कि अपनी एक अलग पहचान बन जाती है. और ये आदत और संस्कार समय के साथ बदते भी रहते है. किसी व्यक्ति के आदत या संस्कार कैसे बनते है यह समझने के लिये हमे आत्म स्वरुप कि स्थिति मे जाना होगा यानि स्वयं को आत्मा समझना होगा , किसी भी प्रकार कि आदत या संस्कार आत्मा के ऊपर चढा हुआ एक आवरण है जैसे पृथ्वि के उपर बाद्लो का आवरण चुकि हम एक आत्मा है , एक प्रकाश , एक उर्जा है , एक सितारे कि तरह. जब भी हम कोई विचार करते है तो हमारे आत्मा से एक छोटी सी उर्जा निकलती है और यही उर्जा आत्मा के उपर एक प्रभाव या एक छाप छोड्ती है और ऐसा बार बार करने पर आत्मा के ऊपर एक आवरण लग जाता है जो हमारे विचारो से ही बना है , और जैसा हमारे ऊपर आवरण होता है वैसा हि आत्मा कर्म करती है जिसको आदत या संस्कार भी कहा जाता है इस प्रकार मनुष्य अपने जिवन मे हर सेकंड कुछ ना कुछ विचार करता रहता है और कर्म करता रहता है