हम कौन है? Who we are?
यह अपने आपमे एक बहुत बडा सवाल है कि हम कौन है..?किंतु विज्ञान और अध्यात्म के खोज के आधार पर कुछ बातो का स्पषटीकरण हो पाया है/
वैज्ञानिको के खोज के आधर पर मनुष्यों की उत्पत्ति आज से लाखो वर्ष पहले हुआ है, उस समय मनुष्य कच्चा मांस खाता और जंंगलो मे रहता था और समय के साथ उसमे परिवर्तन आता गया और उसके रहने, खाने एवं जीवन जीने के तरीके मे बदलाव आता गया जैसा आज हम मनुष्यों को देख रहे है ,परंतु यह जानना जितना आवश्यक है की मनुष्यों की उतपत्ति कैसे हुई उससे कही ज्यादा आवश्यक हम अपने बारे मे कितना जानते है, हम अभी तक समाय के साथ स्वंय को परिवर्तन किया है या समय ने हमे परिवर्तन किया है.....???
अगर हम पुरे ब्रम्हॉड(Universe) मे उपस्थित छोटे कण से लेकर बडे ग्रह, तारे, गेलैक्सि या समस्ता उर्जा कि बात करे तो हर चीज कि उत्पत्ति बिग बैंग से हुआ है यानि हम मनुष्य भी बिग बैंग का ही एक हिस्सा है/ब्रम्हांड कि हर वस्तु जो हम देखते है जैसे पत्थर,सोना , हिरा, मकान, वाहन या ऐसी चीज जिसको हम देख नही सकते परंतु महसुस जरुर करते है जैसे- हवा, धव्नि, या वे सभी सुक्ष्म कण जो एक पदार्थ के अंदर मौजुद है- इलेक्ट्रान,प्रोटान, नुट्रान ये सभी उर्जा ही है और हमारा शरीर भी इन्ही उर्जाओ से बना है, यानि इलेक्ट्रान,प्रोटान, नुट्रान से बना है यानि हमारा शरीर उर्जा का ही एक रुप है अत: हम कह सकते है कि हमारा शरीर एक ऊर्जा है
हमरा यह शारीर जो पुर्ण रुप से ऊर्जा से बना है तथा हम इसका उपयोग करते है इसको नियंंत्रित करते है / किसी भी चीज को तभी नियंत्रीत किया जा सकता है जब एक वस्तु दुसरे वस्तु से अलग हो लेकिन आपस मे संबंध या जुडा हुआ हो जैसे- मोटर सायकल को चलाने वला वक्ति मोटर सायकल से जुडा रहता है और उसको नियंत्रित करता है परंतु मोटर सायकल और चलाने वाला दोनो अलग-अलग है एक नही/ ठीक उसी प्रकार हम अपने विचार से अपने इस शरीर को नियंत्रित करते है जैसे अगर मुझे टेबल पर से पेन उठाना है तो पेन उठाने का विचार होगा और हमारा दिमाग इस संकेत को हाथो तक पहुचा देगा और टेबल पर से हमरा हाथ पेन को उठा लेगा यह सारी क्रिया नेनो सेकंड मे ही हो जाता है/ चुँकि हम सोचते है, विचार करते है, हम अपने दिमाग मे कई प्रकार के चित्र बनाते है और इस शारिर को नियंत्रित करते है इससे यह बात निश्चित होता है कि "मै" और "मेरा" यह शारीर दोनो अलग अलग है, तब एक सवाल पैदा होता है " मै कौन हुँ? और मेरा अस्तित्व क्या है?"
यदि हमसे कोई यह पुछे आप कौन है? आप का परिचय क्या है? तो हमारा जवाब होगा - मेरा नाम रमेश पाल है मै एक doctor हूँ , मै दिल्ली मे रहता हुँ ऐसे ही सम्बंधित जानकारीयाँ हम अपने बारे मे बतायेंगे और हमारा परिचय या पहचान पुरा हो जाता है और सभी लोग इससे ही पहचानें गे/
क्या हो अगर हमारा नाम रमेश पाल के बजाय अजय कुमार हो,मै दिल्ली के बजाय लखनऊ मे रहता हूँ, मै एक doctor के वजय एक engineer हुँ क्या मेरा नाम, रहने का स्थान ,और काम बदलने से मै या मेरे होने का अस्तित्व बदल गया? जवाब है- नही मेरा नाम ,मेरा काम या मेरे रहने का स्थान बदलने से मेरा अस्तित्व नही बदलता अब भी मै वही हुँ जो मै नाम बदलने से पहले था आज भी मै वही महसुस करता हु जो पह्ले करता था/ ये वैसा ही है जैसे एक कपडा खोल दुसरा पहन लिया और कहा जाय की मै वो नही हु जो दुसरा कपडा पहनने से पहले था
हमारा एक वस्तविक (Original) पहचान है जो समय, नाम, स्थान या काम बदलने से मेरा होने का अस्तित्व नही बदलता हमारी एक अलग पहचान है / बाकि जो हमारे नाम, कार्य या रहने का स्थान वो हम जारुरत के हिसाब से स्वंय रखते है या हमारे संंबन्धीयो द्वरा जबरजस्ती थोपा हुआ पहचान है जैसे -बचपन मे रखा हुआ हमारा नाम ये किसी और के द्वरा दिया हुआ पहचान है हमारे दिमाग मे अब भी यह सवाल बना हुआ है कि अखिर हम है कौन और हमारा असली पहचान क्या है? हम कोई भी कार्य अपनी इच्छा(will) या विचार(Thought) के आधार पर करते है और कहते है कि मेरी इच्छा या विचार यह है मै ऐसा करना चाह्ता हु, मेरे विचार से यह होना चाहिये, मेरी इच्छा यह है कि ऐसी तमाम बाते करते है परंतु हमे यह ध्यान अवस्या होना चाहिये कि यह हमारे इच्छा या विचार बदलते रहते है कभी रुकते या खत्म नही होते ,इन सभी इच्छाओ व विचारो को हम स्वंय ही पैदा करते है या हमारे द्वारा होता है इन सभी बतो से यह पता चलता है कि हम इच्छा या विचार नही हम इच्छा और विचार से भी उपर है/
चुँकि यह सारा ब्रम्हाड एक छोट सी ऊर्जा(Energy) बिग बैंग (Big Bang) से हुआ है, और इस ब्रम्हांड मे उपस्थित सभी तत्व, पदार्थ, जीव उसी छोटी सी ऊर्जा का एक अंश है और हम भी उसी उर्जा का एक अंश है इस ब्रम्हांड मे उपस्थित सभी चिज जो दिखाई देती है या नही देती है वो सभी ऊर्जा ही है हम जो विचार या इच्छा करते है वो भी ऊर्जा है और हर प्रकार की ऊर्जा अपने आप मे एक शुध्द ऊर्जा है जब तक कि उसे आपस मे मिलाया ना जाय जैसे सिर्फ एक विचार उत्पन्न किया जाय तो वह शुध्द व शक्तिसाली होगा परंतु कई सारे विचार एक साथ किया जाय तो वह सभी व्यर्थ है हमारे होने का अस्तित्व भी एक उर्जा है और हम भी एक न दिखाई देने वाले शुध्द उर्जा है जिसका नाम आत्मा है/ बस हम अपने होने के अस्तित्व को महशुस कर सक्ते है/ हम अपनी ही उर्जा को विचारो के रुप मे व्यर्थ गवांंते रह्ते है/
"ऊर्जा को ना तो पैदा किया जा सकता है,और ना ही नष्ट किया जा सकता है सिर्फ एक रुप से दुसरे रुप मे परिवर्तन होता रहता है"
"Energy neither be create nor be destroy it can be change one phase to another phase."
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