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"परमात्मा " "ईश्वर" " भगवान" "अल्लाह" "ग़ॉड"......... कौन है? [ Who is GOD ?]

हम सब यह जानते है कि हम सब एक आत्मा है हमारा असली स्वरुप एक आत्मा का हि है जो इस पांच तत्वो से बने वाहन रुपी शरीर द्वार आत्मा कर्म करती है और कर्म करने के लिये इंद्रियो का उपयोग करती है/ जब आत्मा शरीर धारण करती है तो अपना एक छोटा सा परिवार भी बनाती है जिसमे उसके अपने बच्चे होते है और ये बच्चे अपने ही माँ-बाप कि तरह होते है किंतु आपस मे गुण व स्वाभाव मे भिन्न होते है , फिर यही क्रम अगली पिढी के साथ भी चलता रहता है और देखते -देखते एक पुरे गाव का निर्माण हो जाता है जो एक ही वंश के होते है/  ठिक इसी प्रकार हम आत्माओ का भी एक पिता है और हम आत्माओ का जन्म भी एक परम आत्मा से हुआ है जो सभी मनुष्य आत्माए एक परम आत्मा कि संतान है जो गुणों मे एक दुसरे से भिन्न – भिन्न है हम सभी आत्माओ के दो पिता है एक परम आत्मा जिसकी सभी आत्माऐ संतान है और दुसरा वो जो हमारे इस पाच तत्व से बने शरीर को जन्म दिया है शरिर को जन्म देने वाले पिता को लौकिक पिता या संसारिक पिता कहते है तथा हम आत्मा को जन्म देने वाले पिता को अलौकिक पिता या परमपिता परमात्मा कहा जाता है/ परम पिता परमात्मा जो सर्वगुण सम्पन्न है ज्योति स्व

सुख और दुख क्या है? सुख और दुख का रहस्य क्या है?

                                                           “सुख” और “दुख” सुख वह चिज है जिसको सारी दुनिया पाना चाहती है या पाने कि कोशीश कर रही है , और दुख वह चिज है जिसको सभी अपने से दुर भगाना चाहते है परन्तु किसी चिज को पाने से पहले यह जान लेना आवस्यक है कि जो हम पाना चाह्ते है वह है क्या ? जो सुख हमे मिलता है क्या वह हमेशा बना रहता है आखिर क्यो कभी सुख और कभी दुख का अनुभव होता है जिवन भर हम सुख प्राप्त करने के पिछे कडी मेहनत करते है और हमे मिल भी जाता है पर सवाल यह है कि क्या वह स्थिर रहता है ? जोभी हम अनुभव करते है उसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता है प्राप्त नही , क्योकि सुख और दुख कोई वस्तु नही जिसको पकड कर रखा जा सके या दुर करने के लिये फेका जाय , सुख और दुख हमारे मन मे उठ्ने वाला भाव है जो हमारी सफलत और असफलता से जुडा रहता है अगर हम जिवन मे कोई वस्तु पाना चाह्ते है और पा लेते है तो सुख या खुशी का अनुभव होता है और अगर उस वस्तु को नही पाते है तो दुख का अनुभव होता है/ पाना या ना पाना उस वस्तु का काम है जिसको हम छु सकते है देख सकते है परन्तु अनुभव हमारे अपने है जो हमारे अन्दर ही

आत्मा का मुल निवास | Native home of the Soul

  इस संसार मे जो भी चिजे हम देखते है या महसुस( feel) करते है वह सभी ऊर्जा( Energy) है या ऊर्जा का एक रूप है और सभी ऊर्जाऐ अपनी पिछली उर्जा से बनी है यानी हर उर्जा का सम्बन्ध उससे पहले वाली उर्जा से है| (उदाहण के तौर पर हमारे घर तक पहुचने वाली बिजली (electricity) जिससे हमारा सारा घर ऊजाला हो जाता है यह निरंतर उर्जा के बदलाव के प्रक्रिया के फलस्वरुप ही प्राप्त होता है|   उसी प्रकार हमने यह जान लिया है कि हम एक उर्जा है और इस उर्जा का नाम आत्मा है  सारी आत्माये इस धरती   पर शरीर धारण कर अपाना अपना कर्म कर रहीं है चूकि आत्मा गर्भ मे छोटा सा  शरीर  धारण कर इस धरती पर बचपन से बुढे अवस्था तक अपना कर्म करती है, और मृत्यु   के पश्चात पुन: अपने मुल अवस्था मे आ जाती है|  हमारे मन मे यह सवाल पैदा होता है कि ये आत्माऐ जन्म से पहले कहाँ से आती है ?   जैसे हम इस  शरीर  के साथ ईंट पत्थर के द्वरा बने हुए घर मे रहते है उसी प्रकार आत्मा अपने मुल स्वरूप मे परम तत्व वाले घर मे रहती है जिसको कई नाम से जाना जाता है जैसे- मोक्षधाम , शांतिधाम , निर्वाणधाम , पर्मात्मा का घर आदि नामो से जाना जाता है जो पुर

आध्यात्मिकता क्या है? | What is spirituality?

                                                                          आध्यात्मिकता क्या है?  What is spirituality? अध्यात्म को समझने से पहले यह समझना आवश्यक है कि अध्यात्म कोई  profession  नही है कि उस क्षेत्र मे कार्य करने के लिये कार्य सिखना पडे ,  अध्यात्म अपने आप से जुडने का दुसरा नाम है   जब हम अध्यात्म कि बात करते है तो भौतिक शरीर के बारे मे बात नही करते उस शरीर मे बैठे आत्मा के बारे मे बात करते है  हम आज के समय मे ऐसे कई लोगो को देखते है जो अध्यत्मिक जीवन (spiritual life) जीते है या उस क्षेत्र मे कार्य करते है , ऐसे लोग जो अध्यत्मिक जीवन या उस क्षेत्र मे कार्य करते है उनका जीवन आम लोगो के जीवन से कुछ अलग होता है , चाहे वह पहनावा हो या बात चित के तरीके हो , यहाँ तक कि उनके भोजन का चुनाव भी आम लोगो से अलग होता है/ अगर हम आम जीवन और अध्यात्मिक जीवन जिने वाले व्यक्तियो मे तुलना करे तो काफी कुछ समानता होने के बावजुद भी उनका व्यक्तित्व अलग दिखाई पड्ता है , इससे हमारे मन मे एक सवाल पैदा होता है कि क्या एसे लोग हमसे अलग है या उनकी सोच अलग है या उनके विचार अलग है , या उनके दुन

हम कौन है? या हमारा अस्तित्व क्या है? | Who we are? or What are our existence?

                                                                                  हम कौन है? Who we are? यह अपने आपमे एक बहुत बडा सवाल है कि हम कौन है ..?किंतु विज्ञान और अध्यात्म के खोज के आधार पर कुछ बातो का स्पषटीकरण हो पाया है/ वैज्ञानिको के खोज के आधर पर मनुष्यों की उत्पत्ति आज से लाखो वर्ष पहले हुआ है, उस समय मनुष्य  कच्चा मांस खाता और जंंगलो मे रहता था और समय के साथ उसमे परिवर्तन आता गया और उसके रहने, खाने एवं जीवन जीने के तरीके मे बदलाव आता गया जैसा आज हम मनुष्यों को देख रहे है ,परंतु यह जानना  जितना आवश्यक है की मनुष्यों की उतपत्ति कैसे हुई उससे कही ज्यादा आवश्यक हम अपने बारे मे कितना जानते है, हम अभी तक समाय के साथ स्वंय को परिवर्तन किया है या समय ने हमे परिवर्तन किया है.....??? अगर हम पुरे ब्रम्हॉड(Universe) मे उपस्थित छोटे कण से लेकर बडे ग्रह, तारे, गेलैक्सि या समस्ता उर्जा कि बात करे तो हर चीज कि उत्पत्ति बिग बैंग से हुआ है यानि हम मनुष्य भी बिग बैंग का ही एक हिस्सा है/ब्रम्हांड कि हर वस्तु  जो हम देखते है जैसे  पत्थर,सोना , हिरा, मकान, वाहन या ऐसी चीज जिसको हम  देख नही