मन, बुद्धी और संस्कार ( Mind, Intellect, and Impression) इस संसार के किसी भी मनुष्य को कार्य करने के लिये हथियार या साधन की आवस्यक्ता होती है चाहे वह मनुष्य कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो वह बिना हथियार व साधनो के अपनी शक्तियों का प्रयोग नही कर सकता है| जैसे किसी मुर्तिकार को बहुत अच्छी मुर्ती बनाने आती है परंतु उसके पास छेनी-हथौडी नही है तो वह मुर्ति कैसे बनायेगा उसके अंदर मुर्ति बनाने कि गुण-कला सबकुछ है फिर भी वह बिना हथियार के मुर्ति नही बना सकता है| उसी प्रकार हर मनुष्य या जीव को कर्म करने के लिये शरीर के अंग जैसे हाथ , पैर , कान , नाक , आँखे आदि मिला हुआ है जिससे हर जिव संसार के हर कार्य को कर सकता है| ठीक उसी प्रकार मै आत्मा हुँ,एकऊर्जा हुँ, एक चैतन्य शक्ति हूँ, जो इस शरीर मे निवास करती हूँ मुझ आत्मा के तीन अंग या हथियार है मन , बुद्धी और संस्कार ( Mind, Intellect, and Impression) मै इसी तीन हथियार का उपयोग कर संसार के हर कार्य को करती हूँ आत्मा इन तीन चिजो कि मालिक है मन (Mind) - मन आत्मा का एक अंग है जिसके बिना आत्मा कोई कार्य नही कर सकती है